tarot.ideazunlimited.net.Two of Wands

टू ओफ वांड

For English please Click here
कृपया एमेजोन से खरिदिए
कृपया फ्लिपकार्ट से खरिदिए
हमसे डायरेक्ट खरिदिए +91 9723106181


अपराईट भविष्य कथन का महत्व



उदार व्यक्ति, साहस, धैर्य, भविष्य की योजना, प्रगति, निर्णय, खोज

आप धर्मध्वज के जैसे उदार व्यक्ति हैं।आपके पास असाधारण गुण है, वो है साहस और धैर्य। हर एक योजना में धैर्य से शांति पूर्वक भविष्य की योजना बनाना, आपकी प्रगति का द्योतक है।अच्छी निर्णय क्षमता आपको अपने जीवन में जो खोज रहे हो उसकी प्राप्ति कराकर रहेगा।

रिवर्स भविष्य कथन



अधीरता, वर्चस्व, व्यक्तिगत लक्ष्य, आंतरिक संरेखण, अज्ञात का डर, योजना की कमी

कुछ कामों में कुछ जगह पर अधीरता से काम न लीजिए।घर में काम की जगह पर वर्चस्व की लडाई शुरू हो जाएगी तो शांती से अपनी बारी का इंतजार कीजिए।आपके व्यक्तिगत लक्ष्य भी उतनेही जरूरी है जितने की पारिवारिक या सामाजिक या कामकाजी जगह के लक्ष्य्। आपका आंतरिक संरेखण परफेक्ट ही है, जरा भी चिंता ना कीजिए। किसी अज्ञात का डर आपके मन में है तो वो है योजना की कमी। इसलिए शानदार योजना बनाईये लोगों से सलाह मशवरा कीजिए रास्ते अपने आप मिलेंगे।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



मरून रंग का कपडा और लाल रंग की टोपी पहने एक व्यक्ति अपने दाहिने हाथ में ग्लोब पकड़े हुए है। वह अपने बाएं हाथ में एक वांड (गुढी) पकड़े हुए है और दाहिनी ओर की वांड (गुढी) गार्डिंग दीवार पर क्लैंप से बांध दी गई है। वह किले के विजेता की तरह दिख रहा है। वह पानी, पहाड़ियाँ और जंगल देख रहा है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


एक साहसी मर्दाना आदमी सुबह-सुबह अंधेरे जंगल से आ रहा है। सूर्य की किरणें मानो उसे आशीर्वाद दे रही हैं।

अपनी जीत के रूप में, उसने जंगल में एक वांड (गुढी) गाड दी है। वह अपने किले के पास है, लग रहा है कि वह बाएं मुडेगा।

वह अपने दाहिने हाथ में एक वांड (गुढी) के साथ पीछे मुड़कर देख रहा है। वह एक रहस्यमय ग्लोब ले जा रहा है, जो उसकी शक्ति को दर्शाता है।

वह धर्मध्वज हैं। नाम से ही पता चलता है; यह धर्म से जुडा धार्मिक व्यक्ति है, उसका ध्वज विजय का ध्वज है। उनके दादा वृषध्वज को भगवान सूर्य ने गरीबी सहने का श्राप दिया था।

धर्मध्वज ने समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की।

वह देवताओं, राक्षसों और पृथ्वी को जीतने में सक्षम था।

(विस्तृत कहानी )

वृषध्वज राजा अत्यंत तेजस्वी राजा हुए। उनके पुत्र रथध्वज भी उन्ही के जैसे पराक्रमी थे। रथध्वज के दो पुत्र हुए उनके नाम क्रमश:- धर्मध्वज और कुशध्वज थे । रथध्वज की माँ लक्ष्मी की कठोर तपस्या के कारण कुशध्वज की जन्म योजना हुई। उनकी पत्नी तेजगामिनी ने माता कामाक्षी की आराधना की तो उनके मनोरथ सिद्धी के कारण धर्मध्वज के जन्म की योजना हुई। धर्मध्वज धर्म सम्पन राजा हो गये । धर्मध्वज की पत्नी मालावती से एक कन्या हुई जो साक्षात सरस्वती का अंश थी । जन्मते ही वह कन्या स्पष्ट स्वर से वेदमन्त्रो का उच्चारण करते हुए सूतिका गृह से बाहर निकल आयी । विद्वान लोग उसे "वेदवती" कहने लगे , जो तपस्या हेतु वन में चली गयी । तप करते हुए आकाशवाणी हुई कि दूसरे जन्म मे श्रीहरि तुम्हारे पति होंगे । तब वह गन्धमादन पर्वत पर कठोर तप में लीन हुई।

क्रेतावर्त नामक राक्षस राजा धर्मध्वज के धर्म को भ्रष्ट करने के लिए अनेक क्लुप्ति करता था। वेदवती का शील भ्रष्ट करने हेतु उससे जबरदस्ती श्रृँगार करने की कुचेष्टा करने लगा । राजा धर्मध्वज ने उस वक्त अपने बेटी की रक्षा की। तब वेदवती उसे शाप देने हेतु बोली - "दुरात्मन् ! तू मेरे लिए ही अपने बन्धु वांधवो के साथ काल का ग्रास बनेगा क्योँकि तूने कामभाव से मुझे स्पर्श कर लिया है ।" और वही पर योगद्वारा अपने शरीर का उसने त्याग कर दिया ।

वेदवती दूसरे जन्म में सीता हुई , जिसका विवाह राम के साथ हुआ, जो बलवान राक्षस राज के मृत्यु का कारण बनी ।

धर्मध्वज ने हिंदु धर्म की पताका आजके इजिप्त इरान इराक से लेकर पाकिस्तान से म्यानमार ब्रम्हदेश तक फैलाई थी। धर्मध्वज का ध्यान अपने राज्य की सीमा बढाने में नहीं था। उसके सहोदर कुशध्वज भाई दरबार की रचना, लडाईयाँ इसपर जादा विश्वास रखते थे। लम्बे समय के बाद धर्मध्वज जब अपने राज्य में पहुंचे तो उन्होने देखा की भाई कुशध्वज बहुत चतुराई एवं कुशकता पूर्वक राज्य चला रहे थे।

उनसे बिना कुछ कहे मालावती रानी को साथ में लेकर धर्म के काम के लिए वह निकल पडे। अनेक गावों में जाकर शिवजी के मंदिरों की स्थापना वो करने लगे। एक मंदिर एक कुआँ यह उनके सेवा का सूत्र होता था। सम्पूर्ण भारत वर्ष पर उन्होने अनंत शिवालयोका निर्माण किया। उनके इस कार्य से साक्षात शिवजी उन पर प्रसन्न हुए और उनके इस काम के लिए उन्हे आशिर्वाद दिया गया कि धर्मध्वज बेल का रूप धारण करेगा, जिसे शिवलिंग की पूजा करते वक्त उपयोग में लाया जाएगा।

मालावती को आशिर्वाद मिला की उसका रूप एक कलश होगा जिसका उपयोग शिवजी के अभिषेक के लिए किया जाएगा।

देवी भागवत नवम् स्कन्ध अध्याय अनुसार जब तक शिवजी की पूजा बांध दी जाएगी तब तक धर्मध्वज रुपी बेल के पत्र अर्पण किये जाएंगे।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

द स्टार

द मून

द सन

जजमेंट

द वर्ल्ड

एस ऑफ कप्स

टू ऑफ कप्स

थ्री ऑफ कप्स

फोर ऑफ कप्स

फाइव ऑफ कप्स

सिक्स ऑफ कप्स

सेवन ऑफ कप्स

एट ऑफ कप्स

नाइन ऑफ कप्स

टेन ऑफ कप्स

पेज ऑफ कप्स

नाईट ऑफ कप्स

क्वीन ऑफ कप्स

किंग ऑफ कप्स

एस ओफ स्वोर्ड्स

टू ओफ स्वोर्ड्स

थ्री ओफ स्वोर्ड्स

फोर ओफ स्वोर्ड्स

फाईव ओफ स्वोर्ड्स

सिक्स ओफ स्वोर्ड्स

सेवन ओफ स्वोर्ड्स

एट ओफ स्वोर्ड्स

नाइन ओफ स्वोर्ड्स

टेन ओफ स्वोर्ड्स

पेज ओफ स्वोर्ड्स

नाईट ओफ स्वोर्ड्स

क्वीन ओफ स्वोर्ड्स

किंग ओफ स्वोर्ड्स

एस ओफ वांड

टू ओफ वांड

थ्री ओफ वांड

फोर ओफ वांड

फाइव ओफ वांड

सिक्स ओफ वांड

सेवन ओफ वांड

एट ओफ वांड

नाइन ओफ वांड

टेन ओफ वांड

पेज ओफ वांड

नाईट ओफ वांड

क्वीन ओफ वांड

किंग ओफ वांड

एस ऑफ पेंटाकल्स

टू ऑफ पेंटाकल्स

थ्री ऑफ पेंटाकल्स

फोर ऑफ पेंटाकल्स

फाईव ऑफ पेंटाकल्स

सिक्स ऑफ पेंटाकल्स

सेवन ऑफ पेंटाकल्स

एट ऑफ पेंटाकल्स

नाइन ऑफ पेंटाकल्स

टेन ऑफ पेंटाकल्स

पेज ऑफ पेंटाकल्स

नाईट ऑफ पेंटाकल्स

क्वीन ऑफ पेंटाकल्स

किंग ऑफ पेंटाकल्स